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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

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🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। योग योग से निरोग है योग से स्वस्थ मन।  योग चिकित्सा का, भी चिकित्सक है। योग ऋषि का कर्म है, योग ब्रम्हचर्य का ब्रह्म है। योग तपस्वी ओं का तप है, अध्यात्म का सहयोग है। योग निरोगी काया है, योग स्वस्थ मन  योग जग हितकारी है, रहे योग से स्थिर मन। तब ही मिलेगी जीवन में विजय , जब करोगे नित्य नियम योग।🧘🤸

जिंदगी तेरा अजीब फंडा।

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दोस्तों देखा है, सुना है, और जाना है।  दुनिया का अजीब फंडा। किसी को खाना नसीब नहीं, तो किसी को भूख नसीब नहीं। किसी को बिस्तर नसीब नहीं, तो किसी को नींद नसीब नहीं। जहां पानी की आवश्यकता है वहां पानी नहीं जहां पानी की आवश्यकता कम है वहां बाढ़ ही बाढ़ है  ओ जिंदगी तेरा अजीब फंडा।। किसी को पैसे नसीब नहीं, तो किसी को खुशी नसीब नहीं। किसी को प्रेम नसीब नहीं, तो किसी को प्रेमिका नसीब नहीं ओ जिंदगी तेरा अजीब फंडा। कोई प्यासा मर रहा है, तो कोई डूब के मर रहा है। कोई ऑक्सीजन के बिना मर रहा है, तो कोई तूफानों से लड़ रहा है। ओ जिंदगी तेरा अजीब फंडा। कोई ठंड से मर रहा है तो कोई गर्मी में तब रहा है जीवन बोना सा लग रहा है धूप की कमी से तो कहीं जीवन समाप्त हो रहा है धूप की वजह से। ओ जिंदगी तेरा अजीब फंडा। कहीं ठंडा रेगिस्तान, तो कहीं गर्म रेगिस्तान। कहीं रेगिस्तान ही रेगिस्तान तो कहीं दलदल ही दलदल। ओ जिंदगी तेरा अजीब फंडा।

अंकुर का जीवन

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पढ़ा रहा कई दिनों तक जमीन में, इंतजार की घड़ियां बीते जा रही थी।                   तभी करिश्मा कुदरत का मुझ पर मेहरबान हुआ,                    इंतजार खत्म प्यास बुझी जान में जान आई । मैं गिरा हुआ जमी में मेरी चमड़ी हटी दर्द इतना गहरा था, फिर भी सहन करता रहा हिम्मत ना सारी।                    में मिटा तो मैं देखा मेरा वजूद आया,                    नाम था मेरा "अंकुर" मैं सोचा अब मेरी जिंदगी आसान है, किंतु धोखा हुआ मेरे साथ अब भी जमीन में पड था।                   कोशिश मेरी कैसे इस असहनीय भार को हटाउ,                    हर बार कोशिश करता और हारता रहा । एक दिन जब मेरा सामना मौत से हुआ,  चीर  सीना जमीन का  मैं बाहर आया  ।           ...

जीवन

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 मै आपने जीवन में "जीवन"का सही अर्थ खोज रहा हु, जीवन क्या है ? हमने अनेक लोगो से तथा किताबो में पढ़े और सुने की जीवान एक गुण है, जिसमे क्रियाशीलता हमेशा होती है,वह भी हर परिस्थिती में। किंतु जीवन सिर्फ़ चलते रहना तथा बड़ना नही हैं, हां अगर ये सब एक पौधे में होता है और अन्य जीवों में है तो मानते है। ,किंतु मनुष्य में यह सही नहीं है होगा क्योंकि मनुष्य का विकास बदलाव जीवन जीना नहीं है वह तो जीवन करना है। जीवन तो स्वार्थ भी नही है, वह तो निस्वार्थ है। जीवन जीना तो एक खुशी है जो एक आत्मिक खुशी है जो हम अक्सर छोटे से बच्चे में देखते है। आत्मिक अनुभूति है जो हमे किसी असहाय की मदद करके मिलती है।